
देशभर में बिजली चोरी (Electricity Theft) के मामलों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) ने एक बड़ा अभियान शुरु किया है, इस ‘मेगा ऑपरेशन’ के तहत बिजली चोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, जिससे उनकी मुश्किलें काफी बढ़ गई है, सरकार का लक्ष्य अवैध बिजली खपत से होने वाले भारी राजस्व घाटे को कम करना और सभी उपभोक्ताओं के लिए समान आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
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अभियान की मुख्य बातें और कार्रवाई
देशव्यापी छापेमारी में तेजी
बिजली कंपनियों ने 2024-25 वित्तीय वर्ष में अपने निरीक्षण और छापेमारी की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है। सुबह जल्दी, देर शाम और छुट्टियों के दौरान भी टीमें औचक निरीक्षण कर रही हैं, उदाहरण के लिए, मुंबई में अदानी इलेक्ट्रिसिटी (Adani Electricity) ने अपनी जांच में 41% की बढ़ोतरी दर्ज की है।
सख्त कानूनी प्रावधान और कठोर दंड
बिजली चोरी अब एक सामान्य अनियमितता नहीं, बल्कि बिजली अधिनियम, 2003 (Electricity Act, 2003) की धारा 135 के तहत एक गंभीर आपराधिक अपराध माना जाता है। इसमें कठोर सजा का प्रावधान है:
- पहली बार दोषी पाए जाने पर: तीन साल तक की जेल या चोरी की गई बिजली के वित्तीय मूल्य का तीन गुना तक जुर्माना, या दोनों।
- दोबारा अपराध करने पर: पांच साल तक की जेल और वित्तीय लाभ के पांच गुना तक का भारी जुर्माना।
- मीटर से छेड़छाड़: न्यूनतम ₹10,000 से लेकर ₹1,00,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
तकनीक का इस्तेमाल और स्मार्ट मीटर
सरकार ‘रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम’ (RDSS) के तहत आधुनिक तकनीक का लाभ उठा रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और स्मार्ट मीटरों के डेटा विश्लेषण के जरिए स्वचालित रुप से बिजली चोरी के संभावित मामलों की पहचान की जा रही है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम हो रहा है और कार्रवाई सटीक हो रही है।
एफआईआर और भारी जुर्माने
इस अभियान के तहत देशभर के विभिन्न राज्यों में हजारों की संख्या में एफआईआर (FIR) दर्ज की गई हैं। कई मामलों में, अदालतों ने दोषियों पर लाखों रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर
आम जनता से भी इस अभियान में सहयोग की अपील की गई है, बिजली चोरी की शिकायत के लिए कई राज्यों में टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं, जैसे की जैसे कि 1912, शिकायतकर्ता की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है।
यह मेगा ऑपरेशन स्पष्ट संकेत है कि सरकार बिजली चोरी के प्रति ‘जीरो टोलरेंस’ (Zero Tolerance) की नीति अपना रही है, और आने वाले समय में दोषियों के खिलाफ और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
















