
भारत में जब भी कोई ₹10 लाख से अधिक कीमत की कार खरीदता है तो कार डीलरशिप उसके बिल में 1% टीसीएस (Tax Collected at Source) जोड़ देती है, यह पैसा कार खरीदार वापस पा सकता है. लेकिन, जानकारी न होने की वजह से ज्यादातर खरीदार इसे एक अतिरिक्त चार्ज समझते हैं और क्लेम नहीं करते, यह TCS कोई अतिरिक्त खर्च नहीं, बल्कि आपका ही पैसा है, जो आप आईटीआर भरते वक्त क्लेम कर वापस पा सकते हैं।
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भारत में हर साल हजारों लग्जरी व मिड-सेगमेंट कारें बिकती हैं जिनमें TCS वसूला जाता है, लेकिन बहुत से लोग इससे मिलने वाला रिफंड जानते ही नहीं, और सरकार के पास अपना पैसा यूं ही छोड़ देते हैं।
TCS क्या होता है?
जब आप 10 लाख रुपये से ज्यादा की नई कार खरीदते हैं तो डीलर आपसे अतिरिक्त 1 प्रतिशत TCS लेता है, इसमें 10 लाख की कार पर 10,000 रुपये TCS और 30 लाख की कार पर 30,000 रुपये TCS काटा जाता है यानी यह पैसा आपकी जेब से जाता है, लेकिन यह खर्च नहीं है यह सिर्फ एक टैक्स एंट्री है जिसे सरकार के पास जमा किया जाता है और बाद में आप उसे पूरा वापस ले सकते हैं, इस पैसे को लेने का कारण सरकारी नियमों के तहत महंगी खरीद पर रिकॉर्ड रखना है, लेकिन यह रकम लास्ट में आपकी ही है।
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कैसे लें वापस लें अपना पैसा
यह पैसा डीलर सीधे सरकारी खाते में जमा कर देता है और वह आपके PAN नंबर के साथ लिंक हो जाता है, यानी सरकार मानती है कि आपने यह टैक्स पहले ही भर दिया है और उसी आधार पर आप इसे वापस ले सकते हैं. बहुत से लोग ITR फाइल करते समय यह चेक ही नहीं करते कि उन्होंने TCS जमा कराया है, जबकि असलियत में यह प्रक्रिया बेहद आसान है, इस टीसीएस को वापस पाने के लिए आपको कार डीलर से फॉर्म Form 27D जरूर लेना चाहिए, यह एक TCS सर्टिफिकेट होता है, जिसमें लिखा होता है कि आपके PAN पर कितना TCS जमा हुआ है।
















